ईवीएम में पेपर ट्रेल की व्यवस्था शुरू कराने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ा..... नौकरी छोड़नी पड़ी..... दोस्त छोड़ने पड़े........ गालियां मिलने पर तीखी प्रतिक्रिया बंद करनी पड़ी........ एक घोड़े की तरह पीछे चाबुक पड़ रहे थो और हम सिर्फ देश के सर्वोच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग के दरवाजे पर टकटकी लगाये बैठे थे......... मरना पड़े तो मर जायेंगे लेकिन अब तो मंजिल पाकर ही रहेंगे.......अंजाम आज हिन्दुस्तान के सामने है....... जल्द ही आप ईवीएम में वोट देने के बाद निकली रशीद में देख सकेंगे कि जिसके आगे बटन दबाया वोट उसी को गया या नहीं......... यानि पेपर ट्रेल की व्यवस्था शुरू........पूरे देश में इस माह मॉक वोटिंग करके व्यवस्था का ट्राइल होगा ........ और जल्द ही लागू भी होगा......... .
एक सनक फिर चढ़ी है....... गालियां खाने की फिर इच्छा हुई है........ ताने सुनने, लफ्फाजी पसंद पार्टीबाज दोस्तों को छोड़ने का फिर से मन हुआ है....... नौकरी छोड़ने की चिंता नहीं क्योंकि अप्रैल के महीने में एक गुरू मिल गये हैं......... यहां नहीं रहेंगे तो कहीं और इंतजाम हो जायेगा इतना उन पर भरोसा है........ अब सोचा यह है कि इस देश में पान-बीड़ी के खोखे की तरह ...... आये दिन खुलने वाली नये नाम की पार्टियों का क्यों न शटर गिराया जाये......... जिन 75 फीसदी पार्टियों ने आज तक कभी चुनाव नहीं लड़ा उन्हें नया रोजगार तलाशने के काम में लगाया जाये.......... मतलब साफ है ...... इन पार्टियों की मान्यता खत्म करा कर ....... नई पार्टी के पंजीकरण कराने की शर्तों को कड़ा कराया जाये ............ सभी मित्र देश के जागरुक नागरिक है ....... इसलिए इस कार्य को कैसे अंजाम तक पहुंचाया जाये ............ अपनी बेशकीमती राय अवश्य बतायें......... देश के लोकतंत्र पर तो एहसान होगा ही......... आपका भी नेताओं को गालियां देने में जो समय खर्च करते हैं उस की बचत कर कुछ और काम काम कर सकेंगे ..................... थोड़ी मुक्ति मिलेगी .............
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