हिन्दुस्तान के इतिहास में 24 जुलाई 2011 स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा। आजादी के बाद देश की जनता ने पहली बार कोई ऐसा दिन देखा था जब उसने किसी नेता या पार्टी को वोट न देकर खुद को वोट दिया........ जहां कोई नेता न हारा न जीता ..... जीत हुई तो सिर्फ और सिर्फ जनता की। मौका था ईवीएम के साथ नये प्रयोग पेपर ट्रेल के ट्रायल का। दिल्ली के विश्वास नगर विधान सभा में 100 फीसदी मतदान हुआ ......... जो किसी चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा रिकार्ड है।
ईवीएम पर वोट डालने के साथ ही प्रिंटर पर एक पर्ची निकली। इसमें प्रत्याशी का नाम, सीरियल नंबर और चुनाव चिन्ह अंकित थे। इसमें अभी दो तरह की मशीनें प्रदर्शित की गई है। एक मशीन में पर्ची कांच के पीछे से दिखेगी और पांच सैकंड के बाद उसके नीचे लगे डिब्बे में कट कर खुद ही गिर जाएगी। दूसरी मशीन में पर्ची मतदाता हाथ में लेकर देख सकेगा और उसके बाद पास में रखे बॉक्स में डालनी होगी। मतदाता पर्ची को अपने साथ नहीं ले जा सकेगा। उन्होंने बताया कि एक बूथ पर आमतौर पर दो हजार मतदाता होते हैं, इसी के अनुसार मशीन में उसी के आकार का पेपर रोल लगाया जाएगा, ताकि मतदान में देरी न हो।
इस अनूठे मतदान केन्द्र पर सिर्फ वोट ही नहीं डाले गये पास में रखे संतुष्टी पत्र पर आपकी राय भी मांगी गयी। मसलन इस सिस्टम में से कौन सा आपको पसंद है, क्या अब भी ईवीएम से वोटिंग कराने पर आपको कोई आपत्ती है या फिर आपकी शंका अभी खत्म हुई या नहीं आदि-आदि। चुनाव हो और आपकी संतुष्टी पूछी जाये हैं न निराली बात।
इस पूरी प्रक्रिया को अगले लोक सभा चुनावों में निर्वाचन आयोग लांच करने जा रहा है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवी पेट) प्रणाली जोड़ने पर 2500 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। खर्च बड़ा है लेकिन हिन्दुस्तान के लोकतंत्र पर जनता के विश्वास की कीमत से ज्यादा नहीं।
हां इस बीच एक खबर और आयी ......... बरसात की भनक लगते ही ...... बादलों की गरज के साथ कुछ मैंढ़क भी टर-टराने लगे। शिव सेना के एक नेताजी है ........ सालों से सोये पड़े थे एसी में.........किसी ने उन्हें रातो-रात गुमनामी से बाहर निकलने का रास्ता बताया ...... और वह पहुंच गये सर्वोच्च न्यायालय ......... मांग कर डाली ......... कब तक ट्रायल करोगे जल्दी से लांच कर दो.......... भला इन सस्ती लोकप्रियता के लालचियों को कोई समझाये ......... बिना चखे तो होटल में बैरा भी खाना नहीं लाता ........जहां जेब ढ़ीली होती है..... यहां तो लोकतंत्र की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण घटना को अंजाम दिया जा रहा है............ भला वहां जल्द-बाजी कैसे कर दी जाये.........
अंत में एक बार फिर ..........देश की जनता को उसकी जीत के लिए हार्दिक बधाई........ निर्वाचन आयोग को सफल और सच्चे प्रयास के लिए कोटि-कोटि नमन.......................... और शिवसेना के नेता जी को सादर चरण वन्दन..............काश उन जैसे लोग न होते तो मतदान की नौबत ही नहीं आती ............. और मुझ जैसे गरीब को न खर्च करवाने पड़ते अतरिक्त 2500 करोड़........ हर लोकसभा चुनाव में.................
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