जब से मिली हूं उससे, सबसे मिलना मिलाना छोड़ दिया ।
मेरे लिए उस पागल ने भी, सारा जमाना छोड़ दिया ।
उसकी चाहत की खुशबू से, महकी महकी रहती हूं ।
जब से उसका साथ मिला है, इत्र लगाना छोड़ दिया ।
टूटी फूटी छत के नीचे, उसके साथ बहुत खुश हूं,
मैने उसके प्यार की खातिर, राज घराना छोड़ दिया ।
( सुबह .उठा तो मेरे दोस्त ये नज्म सुन रहे थे... दिल के करीब मसहूस हुई तो किसी कोने में घर बना गयी। ये नज्म लिखी तो शायरा शबीना अदीब ने है ,,,, लेकिन लगती कुछ अपनी सी है। )
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
https://www.facebook.com/dr.vineetsingh