• क्या हम ईमानदार हैं ?


    एक दिन गांधी जी से एक मां अपने बच्चे के साथ मिलने आई... बोली बाबा ये गुड़ बहुत खाता है... बहुत कोशिश कर ली लेकिन मानता ही नहीं... आप ही कोई रास्ता सुझाओ.... गांधी जी ने उसे अगले दिन आने के लिए कह विदा किया.... अगले दिन वो महिला फिर आई ... तो गांधी जी ने उस बच्चे को गुड़ खाने से मना किया और समझाया कि ज्यादा गुड़ खाओगे तो दांत खराब हो जायेंगे... वो बच्चा गांधी जी की बात मान गया .... लेकिन महिला इतने पर भी संतुष्ट नहीं हुई... बोली क्या वजह थी जो आपने इतनी सी बात के लिए मुझे दो दिन परेशान किया... जो काम आपने आज किया है उसे आप कल भी तो कर सकते थे... गांधी जी का जवाब सुनकर वो महिला हैरान रह गयी ... गांधी जी ने उसे बताया कि मुझे भी गुड़ बेहद पसंद था ... जब में नहीं छोड़ पा रहा था इससे कैसे छोड़ने के लिए कह सकता था... आज मैने खुद खाना छोड़ दिया है तो इसे समझा रहा हूं....
    पूरी बात का मूल यही है कि जिस काम को करने से हमें ऐतराज नहीं उसी के लिए दूसरे को कैसे मना कर सकते हैं....
    अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ झंडा उठाये जंतर मंतर पर भूखे प्यासे बैठे हैं.... उनकी नीयत एकदम पाक साफ है.... इसलिए वो बैठ गये... लेकिन सुबह से लेकर रात तक इस मुद्दे को जंग की शक्ल देने में जुटा मीडिया...इन्टरनेट...फेशबुक...ट्विटर...और वो तमाम जन मंच जहां जिंदाबाद मुर्दाबाद हो रही है.... क्या सौ फीसदी दावे के साथ कह सकते हैं कि जन लोकपाल विधेयक आने के बाद उसका हश्र सीवीसी या दूसरी संस्थाओं जैसा नहीं होगा.... आरटीआई को लेकर भी तो बड़ा बवाल मचा था कि इसके लागू होने से भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा लेकिन क्या हुआ लोगो ने दलाली का नया रास्ता खोज लिया... जो काम न करे ठोक दो उसके खिलाफ आरटीआई... या फिर जो ईमानदारी से आरटीआई लगा रहे हैं उनके जवाब मिलने की बजाय उन्हें मिल रही है गोली.... कितने लोग हैं जो महाराष्ट्र के शहीद आरटीआई कार्यकर्ताओं के यहां संवेदना जताने गये.... खुद अन्ना भी नहीं जा सके....
    मेरा मुद्दा यह नहीं कि पर्दे के पीछे कौन क्या नाटक रच रहा है.... मेरा मुद्दा यह है कि यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी ही है या उसे खत्म करना ही है तो .... किसी भी मंच पर अन्ना की लड़ाई का समर्थन करने वाले या वे दूसरे सभी जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी चौंडी तकरीरें करने वाले, कसम खायें कि न वो कभी रिश्वत देंगे और ना ही कभी लेंगे.... जिस तेजी से अन्ना के साथ फोटो खिचाने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है उतनी ही तेजी से यह प्रण लेने वाले सामने आ जायें तो जनाब ... जन लोकपाल विधेयक की बात तो छोड़ो पुलिस की भी जरूर न पड़े.... लेकिन ये करेगा कौन... किसके घर में भगत सिंह पैदा हो... पड़ौसी का घर तलाशना बंद नहीं करोगे तो सिर्फ नारे लगाने और फोटो खिचाने के अलावा जन लोकपाल विधेयक से भी कुछ हांसिल नहीं होगा... इसका हश्र भी दूसरे कानूनों जैसा ही होगा... लाचार...बेकार ... असहाय....
    मैं अन्ना हजारे के मंच के समीप खड़ा तो हो गया लेकिन उनसे मिलने की हिम्मत नहीं जुटा सका क्यों ? क्योंकि उस वक्त मैने खुद से पूछा क्या तुम भ्रष्ट नहीं हो.... राडिया...कलमाडी....या राजा तो न बन सका लेकिन कहीं न कहीं मैने भी टंगड़ी मारी होगी ...नहीं निश्चित तौर पर जरूर मारी है... यही ख्याल आया और कदम आगे नहीं बढ़ा सका ... दोस्तो देश को बचाने या भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ने का इरादा है तो पहले ये काम खुद से शुरू करो....खुद सुधरेंगे तो जग सुधरेगा... पहले जग को मत सुधारो.... बुरा लगा तो चार गालियां जरूर देना... मन हल्का हो जायेगा.....वर्ना रात को नींद नहीं आयेगी और गिनते रहोगे अपने भ्रष्टाचार....जय हिंद
  • 0 comments:

    एक टिप्पणी भेजें

    https://www.facebook.com/dr.vineetsingh

    Freedom Voice

    ADDRESS

    Kota, Rajashtan

    EMAIL

    vineet.ani@gmail.com

    TELEPHONE

    +91 75990 31853

    Direct Contact

    Www.Facebook.Com/Dr.Vineetsingh