कौन कहता है,
मरूभूमि है राजस्थान,
जिगर, जज्बे और जमीर
की विरासत से राजपूताणी नदियां
लबालब है यहां.....
पत्रिका समूह के संस्थापक कर्पूरचंद कुलिश जी की पंक्तियों को रेगिस्तान समझे जाने वाले सूबे के बाशिंदों ने आत्मसात कर यहां रेत में भी पानी के धारे बहा दिए हैं.... वो कहतें थे....
ऊंचो राखो हौंसलो
काईं मुसकिल चीज
सूरां की आँख्या बिचै
गृह तारा नाचीज..
सूरां की आँख्या बिचै
गृह तारा नाचीज..
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