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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) अब बिखरते परिवारों को फिर से जोडऩे की कोशिश करेगा। दिनों-दिन बदलती लाइफ स्टाइल के कारण परिवार के सदस्यों के बीच बढ़ती दूरी को खत्म करने के लिए संघ साल भर तक कुटुम्ब प्रबोधन कार्यक्रम चलाएगा। इसमें विभिन्न आयु वर्ग के लोगों की काउंसलिंग कर उन्हें फैमिली वैल्यूज की सीख दी जाएगी। इस साल संघ पारिवारिक दायित्वों पर सबसे ज्यादा जोर दे रहा है।
दिनों-दिन बदलती लाइफ स्टाइल के कारण पारिवारिक सदस्यों के बीच बढ़ती दूरियों को घटाने का काम इस एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है। इसके लिए संघ ने कुटुम्ब प्रबोधन कार्यक्रम की शुरुआत की है। जिसके तहत आरएसएस के स्वयं सेवक लोगों के घर जाकर उन्हें रिश्तों की कीमत समझाने का प्रयास करेंगे। साथ ही हफ्ते में कम से कम एक बार एक साथ बैठकर भोजन करने और एक घंटा सभी सदस्यों की समस्याओं और उपलब्धियों पर चर्चा करने के लिए भी प्रेरित करेंगे। मोबाइल और टीवी की व्यवस्तता आड़े न आए, इसलिए चर्चा के दौरान इससे दूर रहने के लिए लोगों को तैयार किया जा रहा है।
परिवार की जरूरत और कीमत समझाने के लिए अलग-अलग आयु वर्ग के इंटरेक्टिव सेशन भी होंगेे। जिसमें लोगों को परिवार में उनकी भूमिका के मुताबिक लाइफ स्टाइल में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। काउंसलिंग सेशन में सबसे ज्यादा फोकस शादी लायक लड़के-लड़कियों पर रहेगा, ताकि उन्हें बदलती भूमिका के लिए पहले से ही मानसिक तौर पर तैयार किया जा सके। परिवार के बुजुर्गों आदि के लिए अलग-अलग सेशन होंगे। जिसमें सबको फैमिली वैल्यूज के बारे में और परिवार की अहमियत के बारे में समझाया जाएगा।
हो गई शुरुआत
कुटुम्ब प्रबोधन से जुड़े डॉ. विमल जैन कहते हैं कि फैमिली वैल्यूज घटने की वजह से समाज में कई तरह की परेशानी आ रही हैं। तलाक के मामले बढ़ रहे हैं, परिवार के लोग ही एक दूसरे पर केस कर रहे हैं, परिवार के भीतर ही असहनशीलता बढ़ रही है। संघ कोटा समेत पूरे देश में इस कार्यक्रम के जरिए पारिवारिक दूरियों को खत्म कर लोगों के बीच फिर से अटूट प्रेम और परस्पर सहयोग की भावना विकसित करने की कोशिश में जुट गया है।
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