खुशखबरी
कामगारों के अच्छे दिनों की शुरुआत हो चुकी है। दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हस्तशिल्पियों को न सिर्फ आर्थिक सहायता दी जाएगी, बल्कि उनके काम को विश्व पटल पर नई पहचान भी हासिल होगी। बरेली मेगा क्लस्टर (बीएमसी) के जरिए बरेली के लाखों कामगारों का हर ख्वाब हकीकत में तब्दील होने वाला है।
नेशनल काउंसिल ऑफ डिजाइन एंड प्रोडक्ट डवलमेंट (एनसीडीपीडी) उनके लिए अत्याधुनिक मशीनें विकसित करेगा। औने-पौने दामों पर माल खरीदने वाले बिचौलियों का दौर खत्म होगा। नेशनल हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम इंपोरियम अब तैयार माल को देश ही नहीं विदेशी बाजार में भी बेचेगा।
खरीदारों की कमी को दूर करने के लिए देशी-विदेशी बायर्स अर्बन हाट में बनने वाले कॉमन फेसिलिटी सेंटर में आएंगे और यहां के कामगार ग्रेटर नोएडा में लगने वाले इंटरनेशनल गार्मेंट एंड हैंडलूम ट्रेड फेयर के साथ ही देश और विदेश के मेलों में शामिल होंगे। बीएमसी की नींव रखने बरेली पहुंचे केंद्रीय कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि बरेली मेगा क्लस्टर के जरिए कामगारों का हर ख्वाब अब हकीकत में बदलेगा।
बनेंगे डेढ़ लाख कार्ड
छह महीने में बरेली के डेढ़ लाख हस्तशिल्पियों को हस्तशिल्पी कार्ड की सुïिवधा से लैस कर दिया जाएगा। इस एक कार्ड के जरिए कामगारों के पूरे परिवार का स्वास्थ्य बीमा, बच्चों की पढ़ाई के लिए वजीफा, और मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है। केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने अफसरों को निर्देश दिए कि कोई भी कामगार इस कार्ड के वंचित नहीं रहना चाहिए।
हर हस्तशिल्पी का हो जनधन खाता
संतोष गंगवार ने सीडीओ शिव सहाय अवस्थी को निर्देश दिए कि बरेली के हर हस्तशिल्पी का जनधन खाता खुलवाना सुनिश्चित करें। इसके लिए जितने भी प्रयास करने हों किए जाएं और कामगारों तक हर हाल में इस योजना का लाभ पहुंचाया जाए। उन्होंने उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक वाईपी सिंह को निर्देश दिए कि उनके विभाग में पंजीकृत सभी लाभार्थियों का भी जन धन खाता खुलवाया जाए।
देश का पहला स्वर्ण आभूषण क्लस्टर
बरेली में देश का पहला स्वर्ण आभूषण क्लस्टर स्थापित किया जाएगा। यह मेगा क्लस्टर का ही हिस्सा होगा और इसमें हाथ से सोने-चांदी के आभूषण बनाने वाले कामगारों को शामिल किया जाएगा। प्राथमिक रूपरेखा के मुताबिक यह क्लस्टर शहर के बीचों-बीच बसे बमनपुरी इलाके में स्थापित होगा। इस क्लस्टर की स्थापना के बाद देश में पहली बार हाथ से सोने-चांदी के आभूषण बनाने वाले सुनारों को भी केंद्र सरकार ने हस्तशिल्पी का दर्जा दे दिया है।
मेक इंडिया और मेड इंडिया के बाद अब ब्रांड इंडिया
संतोष गंगवार ने कहा कि अब ब्रांड इंडिया के सुनहरे दौर की शुरुआत होगी। परंपरागत हस्तशिल्प अब जीरो डिफेक्ट और फुल इफेक्ट के साथ बाजार में आएगा।
फिजिबिलिटी रिपोर्ट- एक नजर
हुई बैठकें :- जिला प्रशासन, हस्तशिल्प, उद्योग, श्रम, विकास विभाग, जन प्रतिनिधि, हस्तशिल्पी संगठनों के प्रतिनिधि और कामगारों के साथ
मेगा क्लस्टर में शामिल हस्तशिल्प
जरी-जरदोजी, बेंत-बांस, टेराकोटा, गोल्ड स्मिथ, बुड क्राफ्ट, दरी, सुरमा, परांदा, मांझा और पतंग
मंजूर हुई पहली किस्त - 35 करोड़
विकसित होगा क्लस्टर
परतापुर चौधरी - जरी बमनपुरी - गोल्ड स्मिथ
बड़ा बजार - परांदा
रिठौरा, बाकरगंज, गौटिया, गोविंदपुर - जरी
घंघोरा, पिपरिया, भोजीपुरा - टेराकोटा
मथुरापुर, भोजीपुरा - बेंत-बांस
जगतपुर - बुड क्राफ्ट, फर्नीचर
कटघर - दरी
बाकरगंज, किला और सीबीगंज - मांझा-पतंग
कीरीगरों की समस्याएं
- जरी कारीगरों की आमदनी सिर्फ 80 से सौ रुपये रोज- जरी और मांझा कारीगरों की शिक्षा और स्वास्थ्य का स्तर बेहद खराब
- सभी हस्तशिल्पियों के पास मांग के अनुरूप डिजाइन नहीं
- कच्चे माल के लिए सभी हस्तशिल्पी बिचौलियों पर निर्भर, रॉ मेटेरियल बैंक नहीं
- प्रशिक्षण न होने के कारण काम में गुणवत्ता का अभाव
- पैसे के अभाव में अत्याधुनिक मशीनों का अभाव, डाटा बेस भी नहीं
- देशी विदेशी बायर्स के न आने के कारण नहीं मिल पाती उचित कीमत
मौजूदा सुविधाएं
- एसएसआइडीई की मदद से भोजीपुरा में वुड सीजनिंग प्लांट निमार्णाधीन - नवाबंगज में जरी के लिए डिजाइन सेंटर निर्माणाधीन
- मथुरापुर में बेंत बांस के लिए सामुदायिक सुविधा केंद्र स्थापित
- विभिन्न गतिविधियों के संचालन को अर्बन हाट स्थापित
- डिजाइन वर्कशॉप का आयोजन
- स्किल डवलपमेंट वर्कशॉप का आयोजन
- मार्केटिंग फैसिलिटी
- इंटरप्योनोर डवलपमेंट प्रोग्राम
- टेक्नीकल डवलपमेंट प्रोग्राम
- अन्तर्राष्ट्रीय मेलों में बरेली की मौजूदगी
- हस्तशिल्पी पहचान पत्र
दीर्घ कालीन योजनाएं
- वर्क शेड - कॉमन फेसिलिटी सेंटर
- रॉ मटेरियल बैंक
- डिजाइन बैंक
- संसाधन बैंक
- टेस्टिंग लेब और प्रमाणीकरण
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