रासायनिक खाद व
कीटनाशक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से साल-दर-साल जमीन का उपजाऊपन घटता जा
रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार चिंतित है। मृदा की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के
लिए केंद्र सरकार ने हाल ही परम्परागत कृषि विकास योजना का तीन वर्षीय
प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसके
तहत प्रदेश के जिलों में एक-एक हजार किसानों को परम्परागत तरीके से जैविक
खेती के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। तीन वर्षीय प्रोजेक्ट के लिए अलग-अलग
मद में 300 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ है -
जैविक खेती (Organic farming)
कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों का प्रयोग न करने या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है. सन् 1990 के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफी बढ़ा है.
क्यों है जरुरत
संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ दबाव और सभी को भोजन की आपूर्ति की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग से प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को (इकोलॉजी सिस्टम) प्रभावित किया जा रहा है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है, वातावरण प्रदुषण हो रहा है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती जा रही है. आदमी खाना-खाकर बीमार पड़ने लगा है. अधिक उत्पादन और रासायनिक उर्वरक के चलते ही आज पंजाब की जमींन बंजर बन गई हैं और उन पर उत्पादन भी काफी कम हो गया है. अन्य मुख्य बात यह भी है की अधिक उत्पादन के लिये खेती में अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरको एवं कीटनाशक का उपयोग करना पड़ता है जिससे सामान्य व छोटे किसान के पास कम जोत में अत्यधिक लागत लग रही है और जल, भूमि, वायु और वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है साथ ही खाद्य पदार्थ भी जहरीले हो रहे है. उनपर कृषि के ऋण का बोझ भी बढ़ता जा रहा है. इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत वर्षों से निरन्तर टिकाऊ खेती के सिद्धान्त पर खेती करने की सिफारिश की जा रही है, जिसे हर प्रदेश में कृषि विभाग की तरफ से जैविक खेती करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है और भारत सरकार भी इस प्रकार की खेती को बढ़ावा देने के लिए लगी हुई है.
‘जैविक गांव’
म.प्र. में सर्वप्रथम 2001-02 में जैविक खेती का अन्दोलन चलाकर प्रत्येक
जिले के प्रत्येक विकास खण्ड के एक गांव मे ‘जैविक गांव’ के नाम से 313 ग्रामों में जैविक खेती प्रारम्भ की गई जो अब 232887.36 हेक्टेयर में फ़ैल गई है. जैविक खेती से मानव स्वास्थ्य का बहुत गहरा सम्बन्ध है. इस पद्धति से खेती करने में शरीर तुलनात्मक रूपसे अधिक स्वास्थ्य रहता है. औसत आयु भी बढती है. हमारे आने वाली पीढ़ी भी अधिक स्वस्थ्य रहेंगे.
इसके महत्त्व को देखते हुए किसानों ने भी इसमें रूचि लेना शुरू कर दिया है जिससे जैविक खेती का क्षेत्र रकबा पिछले एक दशक में तकरीबन 17 गुना बढ़ गया है. यह क्षेत्र वर्ष 2003-04 में 42,000 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 7.23 लाख हेक्टेयर के स्तर पर पहुंच गया. भारत सरकार ने वर्ष 2001 में जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीओपी) को क्रियान्वित किया. इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रमाणन एजेंसियों के लिए मान्यता कार्यक्रम, जैव उत्पादन के मानक, जैविक खेती को बढ़ावा देना इत्यादि शामिल हैं. कई राज्य जैसे उत्तराखंड, कर्नाटक, मध्य़ प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, नगालैंड, मिजोरम और सिक्किम जैविक खेती को बढ़ावा देते रहे हैं.
जैविक खेती को बढ़ावा
सरकार राष्ट्रीय सतत खेती मिशन (एनएमएसए)/परम्परागत कृषि विकास योजना
(पीकेववाई), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), एकीकृत बागवानी विकास
मिशन (एमआईडीएच), राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पाम पर राष्ट्रीय मिशन
(एनएमओओपी), आईसीएआर की जैविक खेती पर नेटवर्क परियोजना के तहत विभिन्न
योजनाओं/कार्यक्रमों के जरिए जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है.इसके अलावा, सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्यो से एक क्लस्टर आधारित कार्यक्रम क्रियान्वित कर रही है, जिसका नाम परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) है:
- जिसके तहत किसानों के समूहों को परम्प़रागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती शुरू करने के लिए प्रेरित किया जायेगा. इस योजना के तहत जैविक खेती का काम शुरू करने के लिए 50 या उससे ज्यादा ऐसे किसान एक क्लस्टर बनायेंगे, जिनके पास 50 एकड़ भूमि है.
- इस तरह तीन वर्षों के दौरान जैविक खेती के तहत 10,000 क्लस्टर बनाये जायेंगे, जो 5 लाख एकड़ के क्षेत्र को कवर करेंगे.
- फसलों की पैदावार के लिए बीज खरीदने और उपज को बाजार में पहुंचाने के लिए हर किसान को तीन वर्षों में प्रति एकड़ 20,000 रुपये दिए जायेंगे.
जैविक खेती से होने वाले लाभ-
- भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है.
- सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है.
- रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है.
- फसलों की उत्पादकता में वृद्धि.
मिट्टी की दृष्टि से लाभ
- जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है.
- भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं.
- भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होगा.
पर्यावरण की दृष्टि से लाभ
- भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है.
- मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण मे कमी आती है.
- कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है.
- फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि.
- अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ता का खरा उतरना.
जैविक खादें
- नाडेप
- बायोगैस स्लरी
- वर्मी कम्पोस्ट
- हरी खाद
- जैव उर्वरक (कल्चर)
- गोबर की खाद
- नाडेप फास्फो कम्पोस्ट
- पिट कम्पोस्ट (इंदौर विधि)
- मुर्गी का खाद
जैविक पद्धति द्वारा व्याधि नियंत्रण के कृषकों के अनुभव गौ-मूत्र, नीम-पत्ती का घोल, निबोली, मट्ठा, करंज खली
जैविक खेती के प्रति लोगों में भी रुझान बढ़ा है जिसके चलते बहुत से
किसानों की फसलें तैयार होने से पहले ही बिक जा रही हैं और उन्हें बाजार से
ज्यादा दाम भी मिल रहा है. जिसके कारण ऐसे किसानों की रूचि जैविक खेती में
बढ़ने लगी है और उन्हें देखकर और भी किसान जैविक खेती की तरफ कदम बढ़ा रहे
हैं. बताते चले कि देश में कुल जैविक उत्पादन 1.24 मिलियन टन है, वर्तमान
में 12 राज्यों में जैविक खेती हो रही है और दो पूर्वोत्तर राज्यों
सिक्किम और मिजोरम के कुछ वर्षों में पूरी तरह जैविक हो जाने की सम्भावना
है.
वर्ष 2013-14 के दौरान जैविक प्रमाणन के तहत राज्यवार कृषि क्षेत्र (वन क्षेत्र को छोड़कर)
क्र. सं. | राज्य का नाम | जैविक क्षेत्र (हेक्टेयर में) |
1 | अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह | 321.28 |
2 | आंध्र प्रदेश | 12325.03 |
3 | अरुणाचल प्रदेश | 71.49 |
4 | असम | 2828.26 |
5 | बिहार | 180.60 |
6 | छत्तीसगढ़ | 4113.25 |
7 | दिल्ली | 0.83 |
8 | गोवा | 12853.94 |
9 | गुजरात | 46863.89 |
10 | हरियाणा | 3835.78 |
11 | हिमाचल प्रदेश | 4686.05 |
12 | जम्मू-कश्मीर | 10035.38 |
13 | झारखण्ड | 762.30 |
14 | कर्नाटक | 30716.21 |
15 | केरल | 15020.23 |
16 | लक्षद्वीप | 895.91 |
17 | मध्य प्रदेश | 232887.36 |
18 | महाराष्ट्र | 85536.66 |
19 | मणिपुर | 0 |
20 | मेघालय | 373.13 |
21 | मिजोरम | 0 |
22 | नगालैंड | 5168.16 |
23 | ओडिशा | 49813.51 |
24 | पुडुचेरी | 2.84 |
25 | पंजाब | 1534.39 |
26 | राजस्थान | 66020.35 |
27 | सिक्किम | 60843.51 |
28 | तमिलनाडु | 3640.07 |
29 | त्रिपुरा | 203.56 |
30 | उत्तर प्रदेश | 44670.10 |
31 | उत्तराखंड | 24739.46 |
32 | पश्चिम बंगाल | 2095.51 |
कुल | 723039.00 |
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