रूस और अमेरिका के बाद अब भारत दुनिया का ऐसा तीसरा देश बन गया है, जिसने रीयूजेबल लांच व्हीकल टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर (आरएलवी-टीडी) तैयार करने में सफलता हासिल कर ली है। दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट के विकास की दिशा में उठे पहले कदम को सफल बनाने में कोटा की बेटी भावना बांठिया ने भी अहम योगदान दिया। भावना रीयूजेबल लांच व्हीकल (आरएलवी) के लिए थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (टीपीएस) तैयार करने वाली टीम का प्रमुख हिस्सा रहीं। इसी सिस्टम के जरिए अंतरिक्ष में भेजे गए यान के वायुमंडल में पुन: प्रवेश करने पर उत्पन्न होने वाले भीषण तापमान से सुरक्षित रखा जाता है।
वर्ष 2007 में कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज (आरटीयू) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई ऑनर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद भावना को एक मल्टीनेशनल कंपनी ने कैंपस से ही प्लेसमेंट दे दिया। अच्छा पैकेज और ऊंचा रुतबा हासिल करने के बावजूद भावना अंतरिक्ष में उड़ान भरने के अपने बचपन के ख्वाब को नहीं भूल सकी।
अप्रेल 2009 में जब इसरो ने साइंटिस्ट कम इंजीनियर (एससी) की रिक्तियां निकाली तो उन्होंने भी आवेदन कर दिया। राष्ट्रीय स्तर की केंद्रीयकृत परीक्षा में उन्होंने न सिर्फ अच्छे अंक हासिल किए, बल्कि ज्वाइनिंग के बाद इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिकों को भी खासा प्रभावित किया।
मिली अहम जिम्मेदारी
भावना की ज्वाइनिंग के समय इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक ऐसा रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल बनाने का खाका खींच रहे थे जो पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और फिर वापस वायुमंडल में प्रवेश करने में सक्षम हो। उन्हें शुरुआत से ही इस इस अभियान की 23 सदस्यीय कोर टीम का हिस्सा बना लिया गया।
अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले यान को वायुमंडल में फिर से वापस आने पर भीषण तापमान से सुरक्षित रखने के लिए भावना और उनके ग्रुप ने थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम का डिजाइन, रियलाइजेशन, फेब्रिकेशन और डवलपमेंट के बेहद अहम काम को अंजाम दिया। टीपीएस के जरिए ही यान की सुरक्षित वापसी हो सकी। यह सफलता इसलिए भी खास मायने रखती है, क्योंकि आरएलवी तकनीक के जरिए भविष्य में अंतरिक्ष में होने वाले प्रक्षेपणों की लागत दस गुना तक कम हो जाएगी।
बचपन से मिसाइल मैन की फैन
बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में जब कॉलोनी के सारे बच्चे मौज मस्ती में डूबे होते थे तब बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व ब्रांच मैनेजर सुभाष चंद्र बांठिया की इकलौती बेटी भावना मिसाइल मैन अब्दुल कलाम की किताबें पढ़ रही होती थी।
आरएलवी-टीडी
- 23 मई को सुबह सात बजे श्री हरिकोटा में हुई आरएलवी-टीडी की सफल लांचिंग
- शटल जैसा दिखने वाला 6.5 मीटर लंबा यह यान एक विशेष रॉकेट बूस्टर की मदद से वायुमंडल में भेजा गया
- पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और फिर वापस वायुमंडल में प्रवेश करने में सक्षम
- दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट के विकास की दिशा में पहला कदम
- पहली बार इसरो ने पंखों से युक्त किसी यान का प्रक्षेपण किया हाइपरसोनिक उड़ान वाले इस प्रयोग में उड़ान से लेकर वापस पानी में उतरने तक में लगभग 10 मिनट का समय लगा
- पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान का छोटा प्रारूप है।
- भारत का अपना अंतरिक्ष यान कहा जा रहा है, जो अब दस गुना कम खर्च में तैयार हुआ है।
- एक किग्रा भार - स्पेस में भेजने पर अभी 13 लाख रुपए (20 हजार डॉलर) आ रहा था खर्च। भारत ने महज 95 करोड़ रुपए में भेजा 1.75 टन भार का यान।
http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/kota/kota-girl-security-thermal-protection-system-rlv-td-2251303.html
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