• शाबाश!.... फुलवरियावालो....



    मतदाताओं ने 'राइट टू रीकॉल' से प्रधान को हटाया



    दिल्ली के शोर से दूर हटकर एक खबर आ रही है, उत्तर प्रदेश के सुदूर देहाती जनपद बस्ती से... यहां के एक अति पिछड़े गांव फुलवरिया के वासिंदों ने नकारा प्रधान से आजिज आकर उसे कुर्सी से उतार फेंका... इस काम के लिए उन्होंने हथियार बनाया राइट टू रीकॉल कॉल को... उत्तर प्रदेश ही क्या, सम्पूर्ण भारत का यह अपने आप में पहला और अनूठा मामला है जहां किसी जनप्रतिनिधि को हटाने के लिए इस अधिकार का इस्तेमाल किया गया... और वह भी मतदान करके.....जहां प्रधान के काम से असंतुष्ट 809 मतदाताओं ने उसे हटाने के लिए मतदान किया.... वहीं 239 मतदाताओं ने प्रधान के बचाव में वोट डाला।

    राष्ट्रीय परिदृश्य में भले ही राइट टू रीकॉल अभी तक रद्दी के पुलंदे का हिस्सा हो लेकिन ग्राम पंचायतों को मिले इस अधिकार के इस्तेमाल का नायाब नमूना यहां के जागरुक मतदाताओं ने पेश किया है... फुलवरिया का ग्राम प्रधान जिन मतदाताओं के वोट की बदौलत कुर्सी हांसिल करने में कामयाब हुआ था उन्हीं मतदाताओं ने उसकी कुर्सी छीन भी ली.... 


    दरअसल फुलवरिया बरगाह के मतदाताओं ने 29 नवंबर 2012 को ग्राम प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस डीपीआरओ को दिया था, जिस पर 24 दिसंबर को मतदान की तिथि घोषित की गई। निर्धारित तिथि पर पीठासीन अधिकारी सहायक खंड विकास अधिकारी विक्रमजोत शिवशंकर सिंह के नेतृत्व में पोलिंग पार्टी गांव के प्राथमिक विद्यालय मीतनजोत पर पहुंची। सोमवार की सुबह अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया गया जबकि उसके बाद मतगणना की गई। कुल 1997 मतदाताओं में से 809 ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट डाले, जबकि 239 ने प्रस्ताव के विपक्ष में मतदान किया। 47 वोट अवैध पाए गए।
    उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में हुए पंचायत चुनाव में इस ग्रामसभा में प्रधान का पद महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया। इस सीट पर रामपति देवी 812 वोट देकर विजयी हुई थीं। दो वर्ष के भीतर ही मतदाता ऐसे ऊबे कि प्रधान को पद से हटाने की मुहिम छेड़ दी। 24 दिसंबर को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के जरिये उन्हें पदच्युत कर दिया गया।
    अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए प्रभारी बनाए गए सहायक खंड विकास अधिकारी कुमार अमरेंद्र ने बताया कि ग्राम प्रधान को हटाए जाने के बाद गांव के विकास कार्यो की देखरेख के लिए अभी तीन सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी, उसके बाद जल्द ही फिर से नये प्रधान के लिए चुनाव कराया जायेगा।
    वाकई में फुलवरिया के वासिंदों ने अपने अधिकारों का प्रयोग कर देश और दंभी जनप्रतिनिधियों के आगे राष्ट्रव्यापी चुनौती का बिगुल फूंक दिया है। सलाम फुलवरिया के वासिंदों को।

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