राजस्थान में कोचिंग सेंटर्स खोलने के लिए सरकार दो साल पहले ही नियम एवं मानदण्ड तय कर चुकी है, लेकिन इसकी जानकारी पहली बार मंगलवार को सार्वजनिक हुई। विधानसभा में जब नियमों के बाबत पीपल्दा विधायक ने सवाल पूछा तो सरकार ने नियमावली को पटल पर रखा। सरकार की ओर से सदन में यह भी बताया गया कि नियमों की पालना की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय एवं जिला शिक्षा विभाग को सौंपी गई है।
कोटा के पीपल्दा विधायक विद्याशंकर नंदवाना ने अतारांकित प्रश्न के जरिए कोटा शहर में कोचिंग सेंटर्स संचालित करने के लिए निर्धारित नियम व मानदंड की जानकारी मांगी थी। जिस पर सरकार ने मंगलवार को इन नियमों को विधानसभा के पटल पर रखा। हालांकि सवाल के जवाब में सरकार ने माना है कि अभी तक कोचिंग सेंटर संचालित करने की अनुमति मांगने के लिए कोई भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।
विधानसभा के पटल पर रखे गए जवाब में सरकार ने बताया कि कोई व्यक्ति, सोसायटी, ट्रस्ट या व्यक्तियों के समूह द्वारा संचालित किए जाने वाले शैक्षणिक केन्द्र जहां 10 से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हों, को राजकीय संस्था से निजी शिक्षण केन्द्र यानि ट्यूशन संचालित करने के लिए पंजीकृत होना चाहिए।
एेसे कोचिंग संस्थान जहां 10 से अधिक लेकिन 100 तक विद्यार्थी एक समय में उपस्थित होते हों, वहां भवनों के मानदंड निर्धारित किए गए हैं। सड़क मार्गाधिकार न्यूनतम 40 फीट होना चाहिए। भूखण्ड क्षेत्रफल न्यूनतम 300 वर्गमीटर हो तथा प्रत्येक अभ्यर्थी (एक पारी के विद्यार्थियों की संख्यानुसार) न्यूनतम 4 वर्ग मीटर सकल निर्मित क्षेत्रफल (प्रोजेक्शन, छज्जा एवं बालकनी के क्षेत्रफल के अलावा) होना आवश्यक है। इतना ही नहीं प्रत्येक कक्ष में आने-जाने का पृथक से द्वार होना चाहिए। इसी प्रकार प्रत्येक तल पर प्रवेश व निकास के लिए दो सीढियां होना अनिवार्य है। कॉर्नर के भूखण्ड जंक्शन की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं के मद्देनजर कोचिंग संस्थान खोलने के लिए नहीं दिए जाएंगे। डेड एंड स्ट्रीट पर स्थित भूखण्ड व भवनों में कोचिंग संस्थान संचालित नहीं होंगे।
छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय होना अनिवार्य है।एेसे कोचिंग सेन्टर जो अग्निशमन संबंधित प्रावधानों की अनुपालना नहीं करते, उन्हें निर्धारित समयावधि का नोटिस देते हुए एेसे भवनों की गतिविधि पर नगर निकाय की ओर से रोक लगाई जाए। कोंचिंग सेन्टर के लिए प्रस्तावित भवन में विद्यार्थियों के लिए केन्टीन, कोचिंग कार्यालय व स्टाफ रूम आदि गतिविधियां होंगी।
जिला शिक्षा अधिकारी कोचिंग सेन्टर का निरीक्षण कर संचालित कक्षाओं के क्षेत्रफल, आकार, बैठने की व्यवस्था, संबंधित सुविधाएं, जल व विद्युत आपूर्ति आदि का निरीक्षण करेंगे। इस आधार पर डीईओ संबंधित कोचिंग संस्थानों को निरीक्षण जारी करेंगे।
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