जनाब नरेंदर खिलजी...
भारत का भाग्यविधाता बनने की आपकी तमाम कोशिशें इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी की सनकी हदों को भी पार करने लगी हैं... नई जिंदगी देने वाली हिंदुस्तानी अक्ल का ऐहसान मानने के बजाय उस पाजी ने मुल्की दुश्मनी की आग में जलकर नालंदा को भस्म कर डाला था... लेकिन आप किस आग में जल रहे हो... आपको तो ऐहसानमंद होना चाहिए था महामना की कर्मभूमि और बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का... जिसने आपके तमाम गुनाहों को दरकिनार करके इस मुल्क का तख्त-ओ-ताज सौंपा, लेकिन लगता है खिलजी की तरह आप भी अंहकार को आयना दिखाने वालों को जला कर राख कर देने पर यकीं रखते हो...तभी तो महामना की बगिया को आग की लपटों में झौंक दिया।
आपके भक्त सवाल उठाएंगे कि हिंदू हृदय सम्राट नरेंदर खिलजी काशी हिंदू विश्वविद्यालय में लगी आग के लिए गुनेहगार कैसे हो गए... तो सुनिए जनाब नरेंदर खिलजी... मुसलमानों और जातियों की राजनीति के साथ ही भ्रष्टाचार का डर दिखाकर बहुसंख्यकों का वोट तो आपको कहीं से भी मिल जाता, लेकिन बनारस जैसी साख आपको मुल्क में दूसरी जगह कहीं नहीं मिलती... चाहे वह ज्ञान की साख हो या फिर धर्म और फक्कड़ी की... आप कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना में खोए थे, लेकिन काशी के पंडों ने ही आपको वामपंथ मुक्त भारत का मार्ग दिखाया... क्योंकि यहीं के पंडे जानते थे कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस से भारत को मुक्त करवा कर आप 5 साल राज तो कर लेंगे, लेकिन इस राज को ताउम्र कायम रखने के लिए विश्वविद्यालयों में जमी वामपंथ की पाठशाला को रौंदना होगा। काशी के पंडे पूरी बात खत्म करते उससे पहले नागपुर के पुजारियों ने आपको लपक लिया... गुजरात का बनिया कितना भी चतुर क्यों ना हो... नागपुर के लपकों से पार नहीं पा सकता... यही वजह थी कि आपने जेएनयू से लेकर हैदराबाद तक ज्ञान और शील की शाखा लगवा और लाल पेड़ पर आरियां चलवाना शुरू कर दिया। जबकि काशी के पंडे चाहते थे कि आप चाणक्य की तरह वामपंथ के बरगद पर आरी चलाने की बजाय उसकी जड़ों में मट्ठा डालकर उसका समूल नाश कर दें।
बस आपसे यहीं चूक हो गई... काशी के पंडों का अधूरा ज्ञान और नागपुर के लपकों के पूरे साथ ने आपके लिए उसी जहर का काम किया जो इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के खिसियाए सरदारों ने किया था... खिलजी की तरह ही आपने भी अपने लौंड़ों को विश्वविद्यालयों में आग लगाने की इजाजत दे दी। यही आग गुरुवार को आपके घर यानि महामना की बगिया काशी हिंदू विश्वविद्यालय तक जा पहुंची। आपके बेकाबू मनसबदारों के गुर्गों ने गुरुवार को बीएफए की छात्रा से छेड़छाड़ कर दी। कोई और लड़की होती डरी सहमी हॉस्टल में घुस जाती, लेकिन ये लड़की निडर निकली और शिकायत करने पहुंच गई। आपकी दी हुई आरी का इस्तेमाल गुर्गों ने इस लड़की को काटने के लिए भी किया, लेकिन बात बनने के बजाय बिगड़ गई। नागपुर के पुजारियों के साथ मंच साझा करने की औकात रखने वाले लपकों के सरदार को आप तीन साल पहले ही यहां भेजकर राम राज्य कायम करवा चुके थे। सो आपने घर में मौजूद रहने के बाद भी बेटियों से ज्यादा लपकों की छल्लेदार कहानियों पर यकीन कर लिया।
जनाब नरेंदर खिलजी साहब... मुंह फुलाए बच्चों की मनुहार करके बाप कभी छोटा नहीं होता, लेकिन आप इस बात नहीं समझ सकते और समझे भी नहीं। इसीलिए तो शक्तिदात्री को दरवाजे पर खड़ा करके आप दो दिन तक उसकी मूर्ति को पूजते रहे। भला होता कि अहाते में खड़ी कन्या को चौखट के अंदर दाखिल होने देते और हौसला अफजाई कर घर भेज देते। कम से कम बीएचयू तो नहीं जलता, लेकिन आपको तो खिलजी की तरह नालंदा के वैद्य नहीं अपने मनसबदारों से ज्यादा लगाव था सो उनकी नाक बचाने के लिए देश के सबसे गौरवशाली विश्वविद्यालय को आग में झौंक दिया।
नागपुर के इस लपके में कुछ तो खास होगा ही... जो हिंदू हृदय सम्राट दुनिया के इकलौते हिंदू विश्वविद्यालय की परंपराओं को भी उसके लिए ताक पर रखने को उतावले बैठे हैं... बड़े से बड़ा विद्वान भी बीएचयू की दूसरी बार कुलपति नहीं बन सका, लेकिन नागपुर के पुजारियों के साथ मंच साझा करने वाले के लिए आप यह परंपरा तोड़ने को तैयार हैं... बीएचयू ही क्यों आप तो उसे चेयरमैन बनाने के चक्कर में यूजीसी की लंका लगाने पर भी अमादा हो गए... खैर बलात्कार की धमकी मिलने के बाद बेटी की इज्जत को ही ताक पर रखने वाले नागपुर के लपके का तो कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन हिंदू हृदय सम्राट आपने महामना की बगिया में आग लगा दी... वो देखो लपके के गुंडे बच्चों पर लाठियां भांज रहे हैं। हवाई फायर कर रहे हैं।
कानून की रखवाली खाकी लंका गेट पर महिला पुलिसकर्मियों की अनुपस्थिति में छात्राओं पर लाठीचार्ज कर दिया गया, कई छात्राएं घायल बताई जा रही हैं। बीएचयू प्रशासन और जिला प्रशासन बेशर्मी की सारी हदें पार कर चुका है, छात्रावासों के सामने पुलिसिया तांडव, रबर फायरिंग जारी है। बीएचयू के हर प्रवेश द्वार पर पुलिस का कब्जा है, छितुपुर और सीर गेट पर छात्रों के साथ मारपीट की गई। छात्रावासों की बिजली तक काट दी गयी है। पुलिस छात्र-छात्राओं को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दाग रही है। साथ ही हवाई फायरिंग का भी सहारा ले रही है। वीसी लॉज के सामने प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं को लाठीचार्ज कर खदेड़ा जा चुका है। विरोध में छात्रों ने भी बिरला चौराहे से वीसी लॉज तक पथराव किया। साथ ही कई स्कूटी आग के हवाले कर दी। बीएचयू को जलता देख कर अब तो आप खुश होंगे....
गनीमत है कि मैं ना तो वामपंथी हूं और ना ही कांग्रेसी और उससे भी बड़ी गनीमत है कि ये चिंगारी एएमयू और जेएनयू में नहीं भड़की... नहीं तो आपके भक्त मुझे दलाल और बच्चों को आतंकवादी करार दे चुके होते। खैर आप शक्ति की अराधना कीजिए... और तरुणाई को याचना के बजाय रण साधने की साधना करने दीजिए... फैसला महाकाल पर छोड़ देते हैं कि उनकी काशी खामोश बैठेगी या फिर भारतीय राजनीति का नया इतिहास लिखेगी।
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