बद्रीनाथ की दुल्हनिया... रिलीज होने से पहले ही इस फिल्म के गाने लोगों की जुबान पर चढऩे लगे हैं। खास तौर पर "सुन मेरे हमसफर... " तो युवा दिलों की धड़कन बन गया है। खूबसूरत फिल्मांकन और सुरीली आवाज ने इस गाने को बेहद चॉकलेटी बना दिया है। सीधे दिल में उतरते रसीले बोल और आंखों को सुकून देते हसीन नजारे... गज़ब ढहा रहे हैं।
ताजमहल के मखमली साए में खनकता संवाद ... "और कोई उम्मीद मत रखना बद्री"... "उम्मीदों पर तो आशिकी कायम है"...धड़कनें बढ़ाने के लिए काफी है। वरुण धवन और आलिया भट की जितनी हसीन मुलाकातें हैं, उतना ही हसीन गढ़ पैलेस, क्षारबाग, किशोर सागर और सेवन वंडर का नजारा है।
जब यह फिल्म रिलीज होगी तो दर्शक कई बार इन लोकेशन को लेकर शर्तिया भ्रमित होंगे। ताजमहल से लेकर स्टेचू ऑफ लिबर्टी का नजारा हो या फिर पानी के बीचों-बीच बना आलीशान महल औऱ उसके इर्द-गिर्द अटखेलियां करता वाटर स्कूटर। इन्हें देखकर लगेगा कि एक गाने को फिल्माने के लिए फिल्म का क्रू दुनिया के चक्कर लगाता फिरा हो।
जनाब, अब आपको राज की बात बताता हूं...आपको यह सारी लोकेशन देश और दुनिया के अलग-अलग ठिकानों की भले ही नजर आ रही हों, लेकिन हकीकत यह है कि यह मेरे हसीं शहर का आंगन है। जिसके इश्क में मैं कमली हो चुका हूं। हाड़ा चौहान शासकों का बसाया शहर कोटा...जो अब कोचिंग नगरी कोटा के नाम से विख्यात है।
चंद फलांग की दूरियों पर बिखरे अल्लहड़ नजारों को कैद करने के लिए पूरे गाने में कैमरा बाबला हुआ नांचता फिरता है। जिसके शटर की खनक ने शाही शमशान के सन्नाटे में भी संगीत घोल दिया। सच कहूं तो कैमरे के लेंस ने क्षारबाग की छतरियों को देखने का नजरिया ही बदल कर रख दिया है। सेवन वंडर और किशोर सागर की खुबसुरती तो पहले से ही दीवाना बनाए हुए थी। इस गाने को सुनने और देखने के बाद बस इतना ही कह सकता हूँ....
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